आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने
नई दिल्ली। देश में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी का आरोप है कि बीते 11 वर्षों से भारत एक ‘अघोषित आपातकाल’ से गुजर रहा है, जिसमें लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों पर व्यवस्थित और खतरनाक तरीके से हमले किए जा रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बयान में कहा कि, “सरकार के आलोचकों को निशाना बनाया जा रहा है। देश में नफरत और कट्टरता को बढ़ावा मिल रहा है। किसानों को खालिस्तानी बताया जा रहा है, जातिगत जनगणना की मांग करने वालों को शहरी नक्सली कहा जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय डर के माहौल में जी रहा है, जबकि दलितों और अन्य वंचित वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है। रमेश ने आरोप लगाया कि नफरती भाषण देने वाले मंत्रियों को इनाम मिल रहे हैं, और महात्मा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन किया जा रहा है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
यह बयान उस समय आया है जब केंद्र सरकार ‘संविधान हत्या दिवस’ मना रही है। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने पलटवार करते हुए कहा कि “कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से आपातकाल के लिए माफी नहीं मांगी। गांधी-वाड्रा परिवार को देश से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उन्होंने 1975 में लोकतंत्र और संविधान की हत्या की।”
विपक्ष के सुर में सुर
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने इंदिरा गांधी के फैसले को संवैधानिक करार देते हुए कहा, “आपातकाल लोकतंत्र के भीतर लिया गया संवैधानिक निर्णय था। इंदिरा गांधी लोकतंत्र की रक्षक थीं।”
वहीं, सपा नेता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि वर्तमान समय की स्थिति 1975 के आपातकाल जैसी ही है। “प्रेस पर दबाव है, सरकार विरोधी आवाजें दबाई जा रही हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी हो रही है।”