By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept

Janhit Express

  • देश-विदेश
  • उत्तराखंड
  • राजनीति
  • सम्पादकीय
  • सनातन
  • स्वास्थ्य
  • पर्यटन
  • खेल
  • मनोरंजन
Search
© 2024 Janhit Express
Reading: हर नाकामी आपको कामयाबी की अहमियत बताती है
Share
Notification
Aa

Janhit Express

Aa
  • देश-विदेश
  • उत्तराखंड
  • राजनीति
  • सम्पादकीय
  • सनातन
  • स्वास्थ्य
  • पर्यटन
  • खेल
  • मनोरंजन
Search
  • देश-विदेश
  • उत्तराखंड
  • राजनीति
  • सम्पादकीय
  • सनातन
  • स्वास्थ्य
  • पर्यटन
  • खेल
  • मनोरंजन
Follow US
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
Janhit Express > Blog > ब्लॉग > हर नाकामी आपको कामयाबी की अहमियत बताती है
ब्लॉग

हर नाकामी आपको कामयाबी की अहमियत बताती है

Janhitexpress
Last updated: 2024/10/10 at 4:48 AM
Janhitexpress
Share
13 Min Read
हर नाकामी आपको कामयाबी की अहमियत बताती है
SHARE

सुशील कुमार सिंह
वाशु भगनानी और जैकी भगनानी पर अनेक लोग उन भुगतान नहीं करने के आरोप लगा रहे हैं। ‘बड़े मियां छोटे मियां’ को इस साल की सबसे बड़ी फ्लॉप माना गया है। यह इन्हीं पिता-पुत्र की फि़ल्म थी जो हिंदी की सबसे महंगी फि़ल्मों में गिनी जाती है। इसे बनाने पर 350 करोड़ रुपए खर्च हुए, मगर बॉक्स ऑफि़स पर 100 करोड़ तक पहुंचने में इसका दम फूल गया।  उसके बाद से ही भगनानी परिवार पर आरोपों का सिलसिला शुरू हो गया। निचले स्तर के वर्करों से लेकर इस फि़ल्म के निर्देशक अली अब्बास जफ़ऱ तक ने कहा कि उनके पैसे नहीं चुकाए गए हैं।

परदे से उलझती जि़ंदगी
दिनेश विजन की ‘स्त्री-2’ अंधाधुंध नहीं चली होती तो हिंदी फि़ल्मों के डिस्ट्रीब्यूटरों और मल्टीप्लेक्स वालों में मुर्दनी सी छायी हुई थी। छिटपुट सफलताओं को छोड़ दें तो कई महीने से ज़्यादातर फिल्में फ़्लॉप हो रही थीं और हताशा बढ़ा रही थीं। अब स्थिति कुछ बदली है, मगर अभी भी, यानी ‘स्त्री-2’ की अप्रत्याशित कामयाबी के बावजूद 2024 का साल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के मामले में पिछले साल से बहुत पीछे है। अगले तीन महीनों में कई बड़ी फिल्में रिलीज़ होने को हैं जिनसे इसकी भरपायी की उम्मीद की जा रही है, लेकिन कौन जानता है कि वे आंकड़ों को सुधारेंगी या और बिगाड़ देंगी।
किसी उद्योग के वास्तविक हालात कभी भी उसके शीर्ष या ऊपरी परत के चेहरों की चमक से नहीं आंके जा सकते। असलियत तो उसके निचले पायदानों पर खड़े लोगों से ही पता चल सकती है। हर उद्योग में ये चेहरे पीछे छिपे होते हैं। किसी फिल्म के पिट जाने पर भी आप उसके हीरो, हीरोइन, निर्माता, निर्देशक आदि को हंसते-मुस्कुराते फि़ल्म की नाकामी या अपनी अगली फि़ल्म के बारे में मीडिया से बात करते देखते हैं। मगर ज़रूरी नहीं कि उसी फि़ल्म के निर्माण में शामिल रहे निचले स्तर के लोगों के लिए इस तरह मुस्कुराना इतना आसान हो।

कई प्रोडक्शन हाउस हैं जो दिहाड़ी वाले वर्करों या छोटे-छोटे अनुबंध वाले लोगों का पैसा, ‘बस दो-चार दिन में देते हैं’ कह कर वैसे भी टालते रहते हैं। और अगर फि़ल्म रिलीज़ होने तक उन्हें पैसा नहीं मिला और फि़ल्म फ़्लॉप हो गई तब तो उनका भुगतान महीनों तक खिसक सकता है। कमाल यह है कि उनका मेहनताना सबसे कम होता है, मगर सबसे ज़्यादा ख़तरा उसी पर मंडराता है। कहने को इंडस्ट्री में इन लोगों की भी तरह-तरह की एसोसिएशनें हैं जो उनके लिए लडऩे का दावा करती हैं। लेकिन अगर आप ढूंढऩे निकलें तो एक-एक करके सैंकड़ों ऐसे लोग मिल जाएंगे जिनका पैसा महीनों या सालों से लटका है या फिर जिसकी आस भी उन्होंने छोड़ दी है। मुंबई में लगभग साढ़े पांच लाख लोग फि़ल्म उद्योग से जुड़े बताए जाते हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या इन्हीं वर्गों के लोगों की है।
हमारे कई गंभीर फि़ल्म पत्रकार, जिनकी संख्या बहुत कम बची है, अक्सर शिकायत करते हैं कि इंडस्ट्री में कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी प्रतिबद्धता फि़ल्मकारिता के प्रति नहीं है। वे अक्सर घटिया किस्म की फि़ल्में बनाते रहते हैं जो अधिकतर पिटती रहती हैं। फिर भी उनका फि़ल्म बनाना रुकता नहीं। कई बार तो संदेह होता है कि उनके पास इतना पैसा कहां से चला आ रहा है या फि़ल्में पिटने के बावजूद वे इतना पैसा क्यों खर्च किए जा रहे हैं। इनमें से कुछ लोगों के संबंध विदेशों से भी रहते हैं।

वैसे यह कोई नई या आज की बात नहीं है। बिल्डर और ब्रोकर किस्म के लोग तो आज़ादी के पहले से फि़ल्म निर्माण में कूदने लगे थे और उसके बाद भी लगातार रहे हैं। हमारे यहां बनने वाली फि़ल्मों की गिनती और उनमें घटिया फि़ल्मों का प्रतिशत बढ़ाने में सबसे बड़ा हाथ इन्हीं लोगों का रहा है। अगर ऐसे लोग फि़ल्में नहीं बनाते या उनकी बनाई फि़ल्मों को इंडस्ट्री के इतिहास से हटा दिया जाए, तब भी हमारी फि़ल्मों के विकास-क्रम, उसके उल्लेखनीय पड़ावों और फि़ल्मकारी के बार-बार बदलते मुहावरों की गाथा पर कोई असर नहीं पड़ता।
मगर कोई निर्माता किसी भी पृष्ठभूमि से हो, आखिर वह कितना नुक्सान बर्दाश्त कर सकता है। एक के बाद एक फि़ल्में फ़्लॉप होती ही चली जाएं तो एक समय ऐसा आता है जब वह सबका भुगतान कर पाने की हालत में नहीं रहता। क्या वाशु भगनानी और जैकी भगनानी उसी दशा में पहुंच चुके हैं? उनके लिए काम कर चुके अनेक लोग उन पर पूरा भुगतान नहीं करने के आरोप लगा रहे हैं। ‘बड़े मियां छोटे मियां’ को इस साल की सबसे बड़ी फ्लॉप माना गया है। यह इन्हीं पिता-पुत्र की फि़ल्म थी जो हिंदी की सबसे महंगी फि़ल्मों में गिनी जाती है। इसे बनाने पर 350 करोड़ रुपए खर्च हुए, मगर बॉक्स ऑफि़स पर 100 करोड़ तक पहुंचने में इसका दम फूल गया।

उसके बाद से ही भगनानी परिवार पर आरोपों का सिलसिला शुरू हो गया। निचले स्तर के वर्करों से लेकर इस फि़ल्म के निर्देशक अली अब्बास जफ़ऱ तक ने कहा कि उनके पैसे नहीं चुकाए गए हैं। जफऱ अपने सात करोड़ रुपए बाकी बता रहे थे, पर निर्माताओं ने उलटे उन्हीं पर पैसे के घालमेल का आरोप लगा दिया और कहा कि अबू धाबी सरकार से वहां शूटिंग के लिए जो सब्सिडी मिली थी वह जफऱ ने अपने पास रख ली। फिर भगनानी नेटफ़्िलक्स पर 47 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचे। जवाब में नेटफ़्िलक्स ने कहा है कि पैसे तो हमारे वाशु भगवानी पर बकाया हैं। यह सब चल ही रहा था कि उनकी पिछली फि़ल्म ‘मिशन रानीगंज’ के निर्देशक टीनू देसाई ने भी बकाये की मांग उठा दी।

बताया जाता है कि निचले स्तर के कई लोगों के पैंसठ लाख रुपए जैसे-तैसे चुका दिए गए। मगर तभी पता लगा कि भगनानी परिवार ने पिछले दो साल से अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया है। फिर ख़बर आई कि वाशू भगनानी ने देनदारियां चुकाने के लिए अपना दफ़्तर बेच दिया है जिसे तोड़ कर अब वहां एक लग्जरी रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट बन रहा है। अपना दफ़्तर अब वे एक छोटे से फ्लैट में ले गए हैं और अपने करीब दो-तिहाई कर्मचारियों की उन्होंने छंटनी कर दी है। दिलचस्प बात यह है कि ‘बड़े मियां छोटे मियां’ की रिलीज़ से पहले, बल्कि जनवरी से ही, उन्होंने छंटनी शुरू कर दी थी। और छंटनी का क्या है, देश भर में कोई भी कंपनी जब चाहे छंटनियां करती रहती है।

वाशु भगनानी साहब ने अपनी पत्नी पूजा के नाम से 1986 में अपनी फि़ल्म प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी पूजा एंटरटेनमेंट बनाई थी। शुरू में इसने केवल डिस्ट्रीब्यूशन का काम किया और नौ साल बाद अपनी पहली फि़ल्म ‘कुली नंबर वन’ बनाई जिसमें गोविंदा थे और डेविड धवन का निर्देशन था। यह फि़ल्म चल गई तो कई साल तक वाशु भगनानी नंबर वन के पीछे पड़े रहे। मतलब उन्होंने ‘हीरो नंबर वन’ भी बनाई और ‘बीवी नंबर वन’ भी। ये फिल्में भी हिट रहीं। अपने उन्हीं अच्छे दिनों में वाशु भगनानी ने अमिताभ बच्चन और गोविंदा को लेकर ‘बड़े मियां छोटे मियां’ बनाई थी। उसका निर्देशन भी डेविड धवन ने किया। यह फि़ल्म 12 करोड़ में बनी थी जबकि इसने 36 करोड़ कमाए थे। इसे इस तरह समझिये कि फि़ल्म निर्माण के खर्च, स्टारों व निर्देशक इत्यादि की फीस की मौजूदा दरों के हिसाब से यह फि़ल्म आज लगभग 150 करोड़ में बनती और कम से कम 450 करोड़ कमाती।

मगर फिर भगनानी साहब के अच्छे दिन लडख़ड़ाने लगे। उन्होंने ‘शादी नंबर वन’ बना कर उन्हें संभालने की कोशिश की, पर बात ज्यादा बनी नहीं। फिर गोविंदा की तरह डेविड धवन का ज़माना भी ढलने लगा। तभी वाशु भगनानी को अपने बेटे जैकी भगनानी को हीरो बनाने की सूझी। जैकी के लिए उन्होंने, एक के बाद एक, दस फि़ल्में बनाईं जो सब की सब फ़्लॉप रहीं और जिन्हें शायद जैकी भी याद रखना पसंद नहीं करेंगे। पूजा एंटरटेनमेंट ने अब तक जिन छत्तीस फि़ल्मों का निर्माण किया है उनमें से करीब दो-तिहाई को बॉक्स ऑफि़स पर अपनी लागत निकालने में भी दिक्कत आई। पिछले दस सालों में इस प्रोडक्शन हाउस ने एक दर्जन से ऊपर फि़ल्में बनाई हैं जिनमें से ‘सरबजीत’ को छोड़ लगभग सभी फ़्लॉप रही हैं। इनमें ‘बेलबॉटम’ भी थी जो 150 करोड़ में बनी थी और केवल 50 करोड़ निकाल सकी। और इन्हीं में ‘मिशन रानीगंज’ भी थी जो 55 करोड़ में बनी और इतने पैसे भी वापस नहीं ला पाई।

कहा जा रहा है कि भगनानी परिवार की मुश्किलें चार साल पहले ही शुरू हो गई थीं। उन्हीं मुश्किलों के बीच उन्होंने ‘गणपत’ बनाई जिसका बजट 200 करोड़ था और बॉक्स ऑफि़स पर जिसे 15 करोड़ भी नहीं मिले। और फिर वे अपनी पुरानी हिट फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ के शीर्षक को दोहराते हुए एक्शन भरी साइंस फिक्शन लाए जिसकी नाकामी ने उनका पूरा फि़ल्मी तामझाम ही उलट-पुलट कर दिया है।
करीब छह महीने पहले पूजा एंटरटेनमेंट ने शाहिद कपूर को लेकर ‘अश्वत्थामा’ बनाने की घोषणा की थी। यह भी बड़े बजट का प्रोजेक्ट है, इसलिए और प्रोडक्शन हाउस के ताजा हालात के कारण कुछ लोग इसके पूरा होने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। यह प्रोडक्शन हाउस जगन शक्ति के निर्देशन में टाइगर श्रॉफ को लेकर जो फिल्म बनाने जा रहा था उसे तो खैर बंद ही कर दिया गया है।

किसी स्टार की कई फि़ल्में पिट जाएं, उसके बावजूद कोई एक फि़ल्म हिट होकर उसका करियर और मार्केट बचा लेती है। मगर स्टार और प्रोडक्शन हाउस के करियर में अंतर होता है। अभिनेता अक्षय कुमार अपनी कई फि़ल्में पिटने के बाद भी कहते हैं कि ‘हर नाकामी आपको कामयाबी की अहमियत बताती है और आपमें कामयाब होने की भूख बढ़ाती है।‘ मगर जिस प्रोडक्शन हाउस की लगातार दस फि़ल्में अपना पैसा वापस नहीं निकाल सकी हों, और जो देनदारियों के पचड़ों में फंसा हो, वह ऐसा कैसे कहे? असल में भगनानी पिता-पुत्र की मौजूदा स्थिति के विश्लेषण के कई आयाम हैं। उनमें स्टारों की बढ़ती फ़ीस भी है और स्टार जो अपने साथ लाव-लश्कर लेकर चलते हैं, उसका खर्चा भी है। इनके अलावा एक आयाम पुरानी मशहूर फि़ल्मों के रीमेक का है। उस पर फिर कभी।

You Might Also Like

आधुनिकता के अनेक सार्थक पक्ष भी हैं जो समाज को बेहतर बनाते हैं

दक्षेस से भारत को सतर्क रहने की जरूरत

एक अच्छे, भले और नेक प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह

बिजली चोरी या फिर अवैध निर्माण जवाबदेही तय हो

अंडे अहिंसक व शाकाहारी कैसे ?

Sign Up For Daily Newsletter

Be keep up! Get the latest breaking news delivered straight to your inbox.
[mc4wp_form]
By signing up, you agree to our Terms of Use and acknowledge the data practices in our Privacy Policy. You may unsubscribe at any time.
Janhitexpress October 10, 2024 October 10, 2024
Share This Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
Previous Article उत्तराखण्ड पुलिस ने साइबर अपराधियों की चाल से निपटने के लिए पाँच राज्यों से मांगे सुझाव उत्तराखण्ड पुलिस ने साइबर अपराधियों की चाल से निपटने के लिए पाँच राज्यों से मांगे सुझाव
Next Article भारतीय उद्योग जगत की महान हस्ती रतन टाटा का हुआ निधन, 86 साल की उम्र में ली अंतिम सांस  भारतीय उद्योग जगत की महान हस्ती रतन टाटा का हुआ निधन, 86 साल की उम्र में ली अंतिम सांस 
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest News

युवाओं में तेजी से बढ़ रही बीमारियां
युवाओं में तेजी से बढ़ रही बीमारियां
उत्तराखंड June 8, 2025
गुरु तेग बहादुर की 350वीं पुण्यतिथि पर भावपूर्ण नाटक प्रस्तुत, युवाओं को दिया प्रेरणा संदेश
गुरु तेग बहादुर की 350वीं पुण्यतिथि पर भावपूर्ण नाटक प्रस्तुत, युवाओं को दिया प्रेरणा संदेश
उत्तराखंड June 8, 2025
ऋषिकेश हाईवे पर बड़ा हादसा, तेज रफ्तार और गलत दिशा बनी हादसे की वजह
ऋषिकेश हाईवे पर बड़ा हादसा, तेज रफ्तार और गलत दिशा बनी हादसे की वजह
उत्तराखंड June 8, 2025
कोलंबिया में राष्ट्रपति पद के प्रमुख दावेदार मिगुएल उरीबे पर जानलेवा हमला, देश में छाया राजनीतिक संकट
कोलंबिया में राष्ट्रपति पद के प्रमुख दावेदार मिगुएल उरीबे पर जानलेवा हमला, देश में छाया राजनीतिक संकट
देश-विदेश June 8, 2025
- Advertisement -
Ad imageAd image
//
देश -प्रदेश की सभी बड़ी और रोचक ख़बरें पढने के लिए हमसे जुड़े !
Click to Follow us!

पाठको की पसन्द

  • देवप्रयाग में कई नेताओं ने थामा भाजपा का दामन…
  • ‘पुष्पा 2: द रूल’ की रिलीज डेट में हुआ बदलाव, समय से पहले बड़े पर्दे पर धूम मचाएंगे अल्लू अर्जुन

Important Link’s

  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Sitemap

ताजा खबर

  • युवाओं में तेजी से बढ़ रही बीमारियां
  • गुरु तेग बहादुर की 350वीं पुण्यतिथि पर भावपूर्ण नाटक प्रस्तुत, युवाओं को दिया प्रेरणा संदेश
  • ऋषिकेश हाईवे पर बड़ा हादसा, तेज रफ्तार और गलत दिशा बनी हादसे की वजह
Janhit ExpressJanhit Express
Follow US
Copyright @ 2024 Janhit Express, Managed By YDS
  • उत्तराखंड
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • स्वास्थ्य
  • पर्यटन
  • सम्पादकीय
  • मनोरंजन
  • सनातन
  • Videos
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?