टिहरी: लोकसभा चुनावों में भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाई है। प्रदेश की पांचों सीटों पर एक बार फिर से कमल खिला है। टिहरी लोकसभा सीट पर माला राज्य लक्ष्मी शाह ने एक बार फिर से जीत हासिल की है और इसी के साथ टिहरी में राजशाही का तिलिस्म कायम है। टिहरी में राजपरिवार ने 13वीं बार जीत हासिल की है।
आजादी की लड़ाई में टिहरी रियासत के लोगों को अंग्रेजों के अलावा टिहरी की राजसत्ता से भी एक बड़ा संघर्ष करना पड़ा। राजसत्ता के विरुद्ध इतना विद्रोह था कि यहां के लोगों को जेलों में रहना पड़ा और शहादत भी देनी पड़ी। देश आजाद होने पर स्थिति ये थी कि टिहरी रियासत में आजादी का जश्न मनाने और राजशाही का विरोध करने वालों को जेल में डाला जा रहा था।
आखिरकार राजसत्ता के भारी विद्रोह के बाद टिहरी रियासत का भी देश में विलय हुआ। पर, विलय के बाद फिर यहां के लोगों ने रियासत के विरुद्ध आक्रोश भुलाकर राज परिवार को सियासत का ताज पहना दिया। 1952 के पहले चुनाव में निर्दल प्रत्याशी राजमाता कमलेंदुमति शाह को टिहरी के लोगों ने संसद में भेजा। अभी तक 12 आम चुनाव और एक उप चुनाव में टिहरी के लोग राजपरिवार के सदस्यों को सांसद चुन चुके हैं।